Wednesday 15 August 2012


देश के नाम  

बुलाती  है वो देश के मट्टी 
भीनी  भीनी सोंधी  सी 
कहती है तुम रिड चुकाओ 
ना छोड़ मुझे परदेस जाओ 
करो अपने देश को रोशन 
ना भागो परदेश के संग संग 
है क़र्ज़ मेरा तुझपे 
इसे यू  भूल न जाओ 
अपने भारत वर्ष को उन्नती  की ओर ले जाओ 



















बनो इतने बुलंद 
की देश के काम आ जाओ 
न जो कुछ कर पाओ 
औरो का होसला बड़ाओ
उनमे आगे बड़ने का उत्साह जगाओ 

है ये वो महान  माटी 
जहा कई माँ के लाल समाए 
कर इस देश को आज़ाद इस माटी में सोए 
उनकी शहादत से ही बनता 
है ये देश महान 
जिसे कहते है हम शान से 
"हमारा हिंदुस्तान" 

ना जाओ  इसे छोड़ गेरो के जहान 
ना बाटो  इसे अनेक खंड मे 
बनाओ हर जाती हर एक वर्ग सामान 
है ये हमारा हिंदुस्तान 
जहा गूंजती  एक साथ "गीता कुरान"


शिल्पा अमरया