देश के नाम
बुलाती है वो देश के मट्टी
भीनी भीनी सोंधी सी
कहती है तुम रिड चुकाओ
ना छोड़ मुझे परदेस जाओ
करो अपने देश को रोशन
ना भागो परदेश के संग संग
है क़र्ज़ मेरा तुझपे
इसे यू भूल न जाओ
अपने भारत वर्ष को उन्नती की ओर ले जाओ
बनो इतने बुलंद
की देश के काम आ जाओ
न जो कुछ कर पाओ
औरो का होसला बड़ाओ
उनमे आगे बड़ने का उत्साह जगाओ
है ये वो महान माटी
जहा कई माँ के लाल समाए
कर इस देश को आज़ाद इस माटी में सोए
उनकी शहादत से ही बनता
है ये देश महान
जिसे कहते है हम शान से
"हमारा हिंदुस्तान"
ना जाओ इसे छोड़ गेरो के जहान
ना बाटो इसे अनेक खंड मे
बनाओ हर जाती हर एक वर्ग सामान
है ये हमारा हिंदुस्तान
जहा गूंजती एक साथ "गीता कुरान"