माँ का आँचल
माँ अब तो आकर गले लगा लो
दूर करो यह रुसवाई
क्या अपने बच्चो से दूर हो , कोई माँ चेन से सो पाई
तेरा ही हूँ मै एक अंश
हू तेरी ही संतान मै माँ
तेरी ही बिटिया हु मै
तेरे रूप का दर्पण माँ
तेरी ममता की छाव की प्यासी,पली बड़ी हू मै
है काला साया सा जीवन तेरे बिन ओ मेरी अम्मा
तेरे बाहों के घेरे मै क्यों कभी समां पाई मै ना .
देख हर वो बचपन,मेरा दिल भी जला करा
जब सोती है माँ लगा अपने बच्चों को सीने से,और करती है प्यार बड़ा
तब अंधकार भरी काली छाव में चुपके से मै भी ज़रा सिसक लेती हू माँ
क्यों तू इतने दूर गई,छोड़ मुझको इस संसार मै
निष्टूर दुनिया को तूने कैसे मुझको सोप दिया
हर पल तेरे साथ के आभाव तले जीती हू मै
तेरे दामन के साये से कोसो दूर पल रही हू माँ
न कोई अपना कहने को,ना कोई सगा सम्बन्धी
ये दुनिया तो अधूरी रही मेरे नाम के साथ तू जो न थी
ये जीवन न जीवन था,बस ममता का आभाव था
जीवन तो वो होगा जब तेरा मेरा साथ हो!
फिर बनके मेरी मम्मा वपिस मुझे जीवन देना
करना इतना प्यार फिर की सारे आभाव मिटा देना!!!