Thursday 21 June 2012




बीती यादें  

हू मे आसमानो का फ़रिश्ता 
थोडा अल्हड, थोडा मनचला  
उड़ा रस्ते की धूल हवा मे
बहता चला मस्त पवन मे 
उड़ने भरने नई चाहत को 
करने पावन अपने आँगन को  
हो के मस्त बावरा मन 
बह चला खुवाबो के संग 
था बहुत खुशनुमा मौसम 
मस्ती से अठखेलिय भरना
लड़ना झगड़ना शेतानिया  करना 
दोस्ती में था सिमटा जीवन ऐसा था वो खो चुका बचपन
बीत गया प्यार भरा लड़कपन  
चला दौर कारवा का फिर , बड़ा आगे खाबो के संग 
आया था एक और मौसम 
बीती धुंदली यादो के संग 
होती  थी यहाँ सुबह सुहानी , हर शाम थी बेगानी 
थे होसले बहुत बुलंद  
करनी थी दुनिया मुठी मे बंद 
पा  अपने होसलो को चढ़े बुलंदियों पे भर दम 
कर माँ पापा का नाम रोशन बीत गया वो सुन्हेरा पल
 फिर बह चला ख्वाबो के संग 
अब आया था मौसम यौवन 
प्यार से भरा था अब जीवन  
हँसना  रोना सब था संग संग  
हर पल साथ रहना ही था जीवन 
रंगों भरा था अब हर पल 
कसमे वादों का दौर चला 
जिंदगी भर साथ रहने का वादा रहा  
जेसे हर दौर का अंत हुआ  
ये मौसन भी लुप्त हुआ 
खो गए सब वादे ..,वो कसमे ,न साथ छोड़ने के इरादे 
ये सपना तो चूर हो गया 


उसकी दस्तक ,उसका साया सब काफूर हो गया 
फिर चल पड़ा है जीवन 
भरने यादो को अपने संग 

 बीती यादो के संग संग।
शिल्पा अमरया 

2 comments:

  1. its really heartening to peep into this beautiful mind .... an observer and seeker at the same time.......... it s good to remember life's sunshine as cloak remebers its chime .... i m not a blogger as yet, but would share some poems of mine.

    thanks for sharing your creations .. TC :)

    ReplyDelete
  2. I am desperately waiting for your creations sir.Don't forget to share.
    Thanks :))

    ReplyDelete